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रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना है रमजान: मौलाना सगीर

नमाज़ के बाद मौलाना ने मस्जिद में दिया बयान

आलम खान

जालौन,कोंच। रमजान का असल मकसद सब्र, तकवा, हमदर्दी, नरमी, मोहब्बत और दूसरों का ख्याल रखना है। यह बयान नमाज जोहर के बाद रोजदार नमाजियों से मस्जिद अथाई पावर हाउस पर मौलाना सगीर ने दिया।

रविवार को रमजानुल मुबारक के महीने की शुरुआत हो चुकी है।पहला रोजा था जिसके चलते हर एक मुस्लिम रोजा रख इबादत में है। रोजदारों को रमजान की अहमियत पर खास बयान देते हुए मौलाना सगीर ने कहा कि रमजान रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना है। इबादत कर सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। रमजान में रोजेदार की दुआ खाली नहीं जाती है। रोजे रखना इस्लाम का तीसरा फर्ज है। रमजान में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। रमजान का पहला हिस्सा माह के 1-10 दिन का रहमत, दूसरा हिस्सा 11-20 दिन का मगफिरत और 21 से 30 दिन का हिस्सा दोजख से आजादी से का है। रमजान में बेहिसाब, बरकत और रहमतों वाली एक रात होती है, जिसे शबे कद्र कहते हैं। यह रात दूसरी रातों से बेहतर है। रमजान में कुरान पाक नाजिल किया गया। रमजान में रोजे फर्ज किए गए हैं। तरावीह को सुन्नत करार दिया गया है। माह में हर नेकी का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है। रमजान में गरीबों का ख्याल रखे। इबादत अधिक करे, जो व्यक्ति माह में रोजेदार को इफ्तार कराता है, उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।

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