
उमेश दुबे
पुरवा । त्रिप्रारारपुर मां मंडाफी देवी मंदिर प्रांगण में धनुष भंग लीला का मंचन किया गया। इस दौरान लोगों ने जमकर भगवान श्रीराम के जयकारे लगाए। परशुराम और लक्ष्मण के बीच हुए विद्वता पूर्ण संवाद को सुन दर्शक रोमांचित हो उठे
धनुष भंग लीला के मंचन में मण्डलाधीस कपिल अग्निहोत्री ने प्रदेस के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मंचन किया गया राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता का विवाह करने के लिए स्वयंवर का आयोजन किया, रावण का अभिनय में ओम प्रकाश त्रिवेदी एवम बाणासुर के अभिनय में जगमोहन सिंह चंदेल संवाद में हठ को लेकर संवाद शुरू हुआ विश्व मित्र के शिस्य गालों को लेकर संवाद हुआ।
जिसमें आए कई देश के राजाओं के धनुष न उठा पाने से वह निराश हो गए और राजाओं से कहा ये देश देश के राजा गण मै किसे कहूं बलसाली हैं अब मुझे ये विस्वास हुआ धरती वीरों से खाली है। कहकर निराशा के भाव व्यक्त कर दिए। राजा जनक के शब्द सुन लक्ष्मण जी उत्तेजित हो जाते हैं, जिन्हें श्रीराम ने शांत करते हुए कहा कि लखन तुम शांत हो बैठो। विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्री राम ने धनुष का खंडन कर दिया। धनुष टूटने पर हुई घनघोर गर्जना सुन महिद्राचल पर तपस्या में लीन महर्षि परशुराम की तंद्रा भंग हो गई। श्री राम जी परशुराम को शांत करने का प्रयास करते हैं, लेकिन उनके शांत ना होने पर लक्ष्मण जी कहते हैं बहु धनुहीं तौरीं लरिकाई कबहु न अस रिस कीन्ह गोसाई। ऐहि धनु पर ममता केहि हेतू। लक्ष्मण के शब्द सुनकर परशुराम का क्रोध अधिक बढ़ जाता है और श्रीराम के स्वभाव को देख परशुराम जी विस्मय में पड़ जाते हैं और वह श्री विष्णु भगवान के दिया गया सारंग धनुष श्री राम को देते हुए उसकी प्रत्यंचा चढ़ाने को कहते हैं। इस मौके भगवंत नगर विधायक आशुतोष शुक्ला,नीशू शुक्ला, किसान यूनियन भानू गुट के जिलाध्यक्ष पवन शुक्ला,जिला पंचायत सुशील चंद्र विमल निर्मल, रज्जन यादव, हिंदू जागरण मंच विमल द्विवेदी, योगेन्द्र द्विवेदी,संजय शुक्ला, अतिथि गण मौजुद रहे। आए हुए अतिथियों का स्वागत सीमित के लोगो ने किया ।मंच का संचालन अजय द्विवेदी के द्वारा किया गया