
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर स्वणि मण्डित श्रीमद्भागवत जी के स्थापना महोत्सव का शुभारम्भ कल दोपहर 12:00 बजे श्रीविश्राम-घाट पर श्रीयमुनाजी पूजन एवं श्रीमद्भागवत जी के पूजन के साथ होगा। विशाल शोभायात्रा के साथ स्वर्ण-मण्डित श्रीमद्भागवत जी श्रीकृष्ण जन्मभूमि पधारेंगी।इस प्रेसवार्ता में बताते हुऐ श्री एस० लक्ष्मीनारायणन ने बताया कि अनेकानेक जन्मों के पुण्य उदय से ही भगवान श्रीकृष्ण की पुण्य पवित्र जन्मभूमि पर ऐसी अद्भुद सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है जो वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण की साक्षात कृपा-प्रसादी है।श्री लक्ष्मीनारायणन् ने आगे बताया कि जिस ब्रजभूमि की रज प्राप्त करने के लिए रसिक सन्त लालायित रहते हैं। ब्रह्म आदि देवता भी जिस पवित्र भूमि पर किसी भी स्वरूप में नित्य उपस्थित रहने को लालायित रहते हैं ऐसी परम पवित्र भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थापित श्रीमद्भागवत जी निश्चित ही भक्तों को परम सुख प्राप्त करायेंगी।धर्म के क्षेत्र में प्रतिष्ठित गिरि ट्रेडिंग एजेंसी के श्री राम नारायणन जी एवं उनकी बहन श्रीमती शारदा प्रकाश भी आज जन्मभूमि पर पुण्य श्रीमद्भागवत जी की सुन्दर स्थापना के लिए पधारे।श्री राम नारायणन एवं श्रीमती शारदा प्रकाश ने बताया कि ऐसी दिव्य श्रीमद्भागवत जी के निर्माण में सहभागिता निश्चित ही जीवन की उपलब्धि है।संस्थान के सचिव श्री कपिल शर्मा एवं सदस्य श्री गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने श्री एस० लक्ष्मीनारायणन् के इस पुण्य कार्य की प्रशंसा करते हुऐ बताया कि वर्ष 1982 में जन्मस्थान पर प्रमुख मंदिर का नामकरण श्रीमद्भागवत जी के नाम पर करके श्रीभागवत-भवन रखा गया। जिसमें उत्तरी दिवार पर संपूर्ण श्रीमद्भागवत जी ताम्रपत्र पर अंकित हैं। आज लगभग 41 वर्ष के उपरान्त श्रीमद्भागवत जी अपने मूल पुस्तकीय स्वरूप में स्वर्ण-मण्डित होकर स्थापित होंगी जो निश्चित ही करोड़ों-करोड़ श्रद्धालुओं के साथ-साथ उन महापुरूषों को भी परम सुख प्रदान करेंगी जिन्होंने लगभग 60 दशक पूर्व भागवत-भवन की स्थापना के स्वप्न को सफलतापूर्वक साकार किया। 25 जनवरी 2025 की प्रातः 8:00 बजे श्रीमद्भागवत जी की स्थापना भागवत-भवन में विराजित श्रीराधाकृष्ण युगल सरकार के समीप एवं महर्षि वेदव्यास जी की प्रतिमा के सन्मुख की जायेगी। शास्त्रीय मर्यादाओं एवं विधान के अनुसार श्रीमद्भागवत जी की स्थापना के उपरान्त सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवतजी का सस्वर मूल पाठ किया जायेगा।