
पंकज दुबे
कानपुर नगर, घाटमपुर।गरीबों के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी ‘आश्रय योजना’ आज खुद ही आश्रय की तलाश में है। वर्ष 2013 में प्रारंभ हुई इस योजना के अंतर्गत 784 मकानों का निर्माण वर्ष 2019 तक लगभग पूरा हो चुका था, लेकिन डेढ़ करोड़ रुपये की वित्तीय कमी के चलते सैनिटरी और विद्युत कार्य अधूरे रह गए। नतीजतन, यह योजना बीते छह वर्षों से ठप पड़ी हुई है और सैकड़ों गरीब परिवार अब भी अपने आशियाने के इंतज़ार में हैं।
सितंबर 2024 में आवास आवंटन के लिए लॉटरी की प्रक्रिया संपन्न हुई, लेकिन धन की अनुपलब्धता और संबंधित विभागों की आपसी खींचातानी के कारण अभी तक मकानों की चाबियां पात्र लाभार्थियों को नहीं सौंपी जा सकीं।
गंभीर लापरवाही तब सामने आई जब जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने घाटमपुर नगर पालिका क्षेत्र में औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में निर्माण कार्य अधूरा पाया गया और कई अनियमितताएं भी उजागर हुईं। डीएम ने इस मामले को गंभीर मानते हुए मुख्य विकास अधिकारी के निर्देशन में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि — “जो भी अधिकारी या कर्मचारी इस लापरवाही के दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
इस योजना में नगर पालिका, निर्माण एजेंसियों, अधिशासी अधिकारियों और तकनीकी अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है।
गरीब जनता जिन उम्मीदों के साथ इस योजना की ओर देख रही थी, अब उनकी आंखों में नाराज़गी और बेबसी झलक रही है। प्रशासन की यह सख्ती अब इस उम्मीद को फिर से जगा रही है कि शायद अब उन्हें उनका हक मिलने का रास्ता साफ हो सके।