
कवि गोपाल पाण्डेय
रणचंडी का आह्नान कर ,करो सैन्य तैयारी।
पाकिस्तान मिटाने तक ये जंग रहेगी जारी।।
सेना शस्त्र सम्हालो लेकर नाम भवानी का।
वैरी को आभास कराओ हिंदुस्तानी पानी का।।
वीर हामिद के वंशज अपना फर्ज निभाओ।
भारत मां पुकार रही है फिर से टैंक उड़ाओ।।
महादेव के पुत्रों अब तुम रौद्र रूप को धारों।
मानसरोवर मिल न जाए तब तक शत्रु संघारों।।
खप्पर वाली व्योमिका सूफिया का रूप धरेगी।
काट काट नरमुंडो को वो सिंदूरी कलश भरेगी।।
निश्चित रहो नभ में तो पवन पुत्र सहायक होंगे।
लंक जलाने वाले स्वयं ही रण के नायक होंगे।।
अभी शेष रावलपिंडी में काल भैरवी का नर्तन।
पुनः सुनाई देगा तुमको अटल बिहारी का गर्जन।।
थल के सैनिक चलो तो पूरा रणथल थर्रा जाए।
कप जाए वैरी सैनिक जो भी तेरे सम्मुख आए।।
अंगद का आशीष मिलेगा पांव जमाते जाना।
लाहौर कराची में जा विजय ध्वजा लहराना।।
कवि गोपाल पांडेय