
आलोक कुमार गौतम-
सहायक पुलिस आयुक्त,
वैशाली नगर, जयपुर
वर्दी मेरी शान बहुत है,
इसमें मेरी जान बहुत है।
जनता की सेवा कर जाऊं,
ऐसे ही अरमान बहुत है।
बदमाशों में डर हो मेरा,
कानूनों में बल हो मेरा,
कान खोल कर सुन लो सब ,
जेल में रहेगा बदमाशों का डेरा।
इस वर्दी की खातिर देखो,
हमने सब कुछ छोड़ रखा है,
मोह माया का सारा बन्धन,
हमने तो बस तोड़ रखा है।
अब तो यह संकल्प है मेरा,
जनता का दिल जीत मैं पाऊं,
मुसीबतों में बिना पुकारे,
मैं बस उन तक पहुंच ही जाऊं।
गुण्डे बदमाशों पर देखो,
महाकाल सा टूट पडूं मैं,
जब तक उनको मिटा ना दूं मैं,
तब तक उनसे सदा लडूं मैं।
एक-एक बदमाश को देखो
पाताल तलक भी ना छोड़ेंगे,
ऐसा तोडेंगे उनको हम,
अपराध के लायक ना छोडेंगे।
बस इतनी सी अभिलाषा है,
इस वर्दी का मान बढ़ाऊं,
स्वर्ण अक्षर में लिखा जाये जो,
ऐसा ही कुछ मैं कर जाऊं।
इस वर्दी ने मान दिया है,
और अदभूत सम्मान दिया है।
अनजानों में भी परिचित हूं,
ऐसा ही पहचान दिया है।
इसने हमको दिया है इतना,
हमको भी कुछ देना होगा,
तन-मन धन सब इसको अर्पित,
इतना तो अब कहना होगा।
पद प्रभाव से नहीं डरेंगें,
सच को बस अब सच कहेंगे।
गुजरे चाहे जिस भी पथ से,
निष्पक्ष सदा बस हम रहेगे ।
खाकी मेरी शान बहुत है,
इसमें मेरी जान बहुत है,
“आलोक” ईश्वर से अब क्या मांगू,
मुझ पर यह अहसान बहुत है।
मुझ पर यह अहसान बहुत है।
मुझ पर यह अहसान बहुत है।
मुझ पर यह अहसान बहुत है।