
अश्विनी श्रीवास्तव
चित्रकूट। जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जी. एन. और पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने जिला कारागार का औचक निरीक्षण किया। यह निरीक्षण प्रशासन की तरफ से जेल की व्यवस्थाओं को परखने और सुधारने के उद्देश्य से किया गया था।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने महिला बैरक, विद्यालय, अस्पताल वार्ड, बैरक नं. 3, सीसीटीवी कैमरे, पाकशाला सहित जेल के विभिन्न हिस्सों का बारीकी से जायजा लिया।
जिलाधिकारी ने महिला बैरक का निरीक्षण करते हुए निरुद्ध महिला कैदियों और उनके बच्चों से खानपान और अन्य समस्याओं के बारे में जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने महिला कैदियों की स्थितियों को समझने की कोशिश की और उन्हें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
इसके बाद जिलाधिकारी ने अस्पताल वार्ड का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने निरुद्ध कैदियों से उनके स्वास्थ्य लाभ और किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी ली। जिलाधिकारी ने जेल प्रशासन को निर्देशित किया कि निरंतर और समय-समय पर कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए, ताकि किसी भी तरह की बीमारी या समस्या का जल्द पता चल सके।
जिलाधिकारी ने जेल के सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए जेल अधीक्षक को आदेश दिए कि जेल परिसर में सीसीटीवी कैमरे सही तरीके से कार्यरत रहें। यदि कोई कैमरा खराब हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दिया जाए। उन्होंने सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही को सख्ती से रोकने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारी ने पाकशाला का निरीक्षण करते हुए जेल अधीक्षक से कहा कि कैदियों को भोजन और नाश्ता उनके निर्धारित मीनू के अनुसार दिया जाए, और इसमें कोई भी अनियमितता न हो।
जिलाधिकारी ने जेल अधीक्षक से सुरक्षा कर्मियों की ड्यूटी के बारे में जानकारी ली और निर्देशित किया कि सुरक्षा कर्मियों की ड्यूटी शासन की गाइडलाइंस के अनुसार तय होनी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने जेल में कैदियों की वर्तमान संख्या की भी जानकारी ली।
निरीक्षण के दौरान पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने सुरक्षा में लगे सभी कर्मियों से मुस्तैदी के साथ ड्यूटी निभाने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में सुरक्षा में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
इस निरीक्षण में जेल अधीक्षक शशांक पांडेय, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. विकास सिंह सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। यह निरीक्षण जेल की व्यवस्थाओं को सुधारने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया था, ताकि निरुद्ध कैदियों को बेहतर और सुरक्षित माहौल मिल सके।
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